भगवद गीता - अध्याय २ - पद १९ और २० | अर्था । आध्यात्मिक विचार | भगवद गीता का ज्ञान
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भगवद गीता - अध्याय २ - पद १९ और २० - इस वीडियो में देखिए की भगवान कृष्ण अर्जुन को आत्मा का सखोल ज्ञान कैसे देते है Don't forget to Share, Like & Comment on this video Subscribe Our Channel Artha : goo.gl/22PtcY १ उन्नीसवां श्लोक इस प्रकार है : य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते।।१९।। २ इस श्लोक का अर्थ है : जो आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको मरा हुआ समझता है, वे दोनों ही अज्ञानी है, क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारती है और न किसी द्वारा मारी जाती है। ३ भगवान कृष्ण ने उन्नीसवें श्लोक में यह कहा की वास्तव में कोई भी किसी को मार नहीं सकता। बिसवां श्लोक इस प्रकार है न जायते म्रियते वा कदाचि-न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो-न हन्यते हन्यमाने शरीरे ।।२०।। ४ इस श्लोक का भावार्थ है: यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्म लेती है और न मरती है और न ही जन्म लेगा, यह अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारी जा सकती है। ५ भगवद गीता के ऐसे अद्भुत वीडियो देखने के लिए हमारे यूट्यूब चॅनेल को सब्सक्राइब करें और हमारा फेसबुक पेज लाइक करें Like us @ Facebook - facebook.com/ArthaChannel/ Check us out on Google Plus - goo.gl/6qG2sv Follow us on Twitter - twitter.com/ArthaChannel Follow us on Instagram - instagram.com/arthachannel/ Follow us on Pinterest - in.pinterest.com/channelartha/ Follow us on Tumblr - tumblr.com/blog/arthachannel
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