भगवद गीता के सबसे शक्तिशाली दो श्लोक | अर्था । आध्यात्मिक विचार
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इस विडियो में देखिए भगवद गीता के सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित दो श्लोक Don't forget to Share, Like & Comment on this video Subscribe Our Channel Artha : goo.gl/22PtcY 1 यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥ 2 इस श्लोक का अर्थ है : जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, उस समय, मैं अपने आप को खुद प्रकट कर दूंगा या मैं फिर खुद आऊंगा भक्तों की सुरक्षा के लिए, दुष्टों का पूर्ण विनाश करने के लिए, और धर्म स्थापित करने के लिए, युग उपरांत युग में प्रकट होऊंगा 3 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्व कर्मणि ॥ 4 इस श्लोक का अर्थ है : आपको वास्तव में कर्म अर्थात कार्य करने का अधिकार है परंतु इसके परिणाम अर्थात फ़ल की इच्छा रखने का अधिकार नहीं है इसलिए फ़ल की इच्छा रख कर कर्म मत करों और फल की इच्छा ना ऱखने का यह अर्थ भी नहीं है की आप कर्म करना भी छोड़ दे Like us @ Facebook - facebook.com/ArthaChannel/ Check us out on Google Plus - goo.gl/6qG2sv Follow us on Twitter - twitter.com/ArthaChannel Follow us on Instagram - instagram.com/arthachannel/ Follow us on Pinterest - in.pinterest.com/channelartha/ Follow us on Tumblr - tumblr.com/blog/arthachannel
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